ऐ खूदा

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ऐ खूदा, उस दिल-ए-रूह से बच, इस दूनिया मे आके ऐसा खेल मेरे मौला तू रच, मिट जाए सारे झूठ रह जाए बस सच ही सच, तकदीर तो ऊपर वाले का अनोखा खेल है, न जाने यहाँ आके किसका किस किस के साथ मेल है, लगता है अभी मेरे आगे पीछे दायेँ बायेँ कुदरत की बनी अनोखी जेल है, लेकिन मेरे मौला इसके आगे तेरा ये भेजा वन्दा बिल्कुल फेल है, बच जाऊ मै,भाग जाऊ मैं क्या तूने इस दूनिया मे बनाई कोई ऐसी रेल है, या अल्ला…, थक गया हूँ, डर गया हूँ…,

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