अपनी नज़र से कोई मुझे जगमगा गया महफ़िल में आज सब की निगाहों में छा गया कल

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अपनी नज़र से कोई मुझे जगमगा गया महफ़िल में आज सब की निगाहों में छा गया कल तक तो इस हुजूम में मेरा कोई न था लो आज हर कोई मुझे अपना बना गया आता नहीं था कोई परिन्दा भी आस-पास अब चाँद ख़ुद उतर के मेरी छत पे आ गया जो दर्द मेरी जान पे रहता था रात-दिन वो दर्द मेरी ज़िन्दगी के काम आ गया हैरान हो के लोग मुझे पूछते हैं आज तुमको कौन ये जीना सिखा गया

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