प्रसन्न व्यक्ति वह है जो निरंतर स्वयं का मूल्यांकन एवं सुधार करता है। जबकि दुःखी व्यक्ति

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प्रसन्न व्यक्ति वह है जो निरंतर स्वयं का मूल्यांकन एवं सुधार करता है। जबकि दुःखी व्यक्ति वह है जो दूसरों का मूल्यांकन करता है। सुपरभात!

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