ऐनक पहने लाठी पकडे चलते थे वो शान से दुबलेसे पतलेसे थे वो चलते सीना तान के कद था

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ऐनक पहने लाठी पकडे चलते थे वो शान से दुबलेसे पतलेसे थे वो चलते सीना तान के कद था उनका छोटासा और सरपट उनकी चाल रे जालीम कापे थरथर थरथर सुनकर उनका नाम रे बंदे मे था दम वंदे मातरम राष्ट्रपिता महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी यांच्या जयंतीदिनी त्यांच्या पवित्र स्मृतीस विनम्र अभिवादन

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