"स्वभाव" रखना है तो उस "दीपक" की तरह रखो जो "बादशाह" के महल मे भी

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"स्वभाव" रखना है तो उस "दीपक" की तरह रखो जो "बादशाह" के महल मे भी उतनी "रोशनी" देता है जितनी किसी "गरीब" की "झोपड़ी" मे।

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