प्रेम से सजा हैं ये दिन कैसे कटे भाई तेरे बिन अब ये मुस्कान बोझ सी लगती

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प्रेम से सजा हैं ये दिन कैसे कटे भाई तेरे बिन अब ये मुस्कान बोझ सी लगती हैं तू आजा अब ये सजा नहीं कटती हैं

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