संता – यार एक औरत रोज मुझे देख कर खिड़की से रूमाल हिलाती है

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संता – यार एक औरत रोज मुझे देख कर खिड़की से रूमाल हिलाती है ,, पर कभी खिड़की नहीं खोलती ,, बंता – ओये खोतया , गौर से देख वो औरत काम वाली बाई है , खिड़की के शीशे साफ़ कर रही है कपडे से,,

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