संता – मेरे दोस्त तू जुआ खेलना छोड़ दे बंता – क्यों तेरे बाप का क्या

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संता – मेरे दोस्त तू जुआ खेलना छोड़ दे बंता – क्यों तेरे बाप का क्या जाता है? संता – भाई ये गन्दी आदत है इसमें तू आज जीतेगा फिर कल हारेगा फिर अगले दिन जीतेगा फिर हारेगा बंता – . . . . मैं समझ गया भाई अब मैं एक दिन छोड़ के खेला करूँगा

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