बरसों बाद अपने कालेज के सामने से गुजरते वही पुरानी चाय की टपरी नजर आई।

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बरसों बाद अपने कालेज के सामने से गुजरते वही पुरानी चाय की टपरी नजर आई। मन अतीत के सागर में गोते खाने लगा। टपरी पर चाय पी तो चाय वाले ने पूछा: चाय के साथ कुछ और चाहिए?
मैंने कहा: पुराने मित्र मिलेंगे क्या?
चाय वाले की आँखें भर आईं और वो अपनी उंगली से दूर इशारा करता हुआ बोला,
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वो चौराहे पर जो ठेका है न, वहीं बैठे हैं सारे!

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