बड़ी तनहा सी बेपरवाह गुज़र रही थी ज़िन्दगी ग़ालिब

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बड़ी तनहा सी बेपरवाह गुज़र रही थी ज़िन्दगी ग़ालिब;
अब यह आलम है कि एक छींक भी आ जाए तो दुनिया गौर से देखती है!

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