हम आज भी शतरंज का खेल अकेले खेलते हैं!

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हम आज भी शतरंज का खेल अकेले खेलते हैं!
क्योंकि दुश्मनों को हम सामने बिठाते नहीं
और 'दोस्तों' के खिलाफ चाल चलना हमें आता नहीं।

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