ज़िन्दगी, बस इतना अगर दे दो तो काफी हैसिर से चादर ना हटे, पाँव भी चादर में रहें
ज़िंदगी साला बैंगन जैसी हो गयी हैहर कोई भर्ता बना कर चला जाता है
उत्तराखंड सी हो गई है ज़िंदगीखूबसूरत तो बहुत है पर आपदाएं कम नहीं हो रहीं