इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगाइन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगाअँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्याआरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्याक्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भीमुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भीकिसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
ये देखो फिर से आ गईं फूलों पे तितलियाँये देखो फिर से आ गईं फूलों पे तितलियाँइक रोज़ वो भी आएगा अफ़्सोस मत करो
तेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँतेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँमेरा इश्क़ कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ