तुम ने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थेतुम ने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थेतेरे आाँसू मेरी आँखों से निकल सकते थेतुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरहदरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे
कोई हालात नहीं समझताकोई हालात नहीं समझताकोई जज़्बात नहीं समझताये तो बस अपनी अपनी समझ हैकोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता हैतो कोई पूरी किताब नहीं समझता
मुश्किल हालात से कह दो आज हमसे ना उलझेमुश्किल हालात से कह दो आज हमसे ना उलझेदुआओं से हाथ भरे है मेरे तुम्हें कहाँ संभाल पाउँगा