मत पूछना ख़फ़ा होने का सबब मुझसेमत पूछना ख़फ़ा होने का सबब मुझसेकैसे-कैसे खेले हैं किस्मत ने खेल मुझसेअब कैसे छिपाऊं अश्क इन आँखों मेंक्या बताऊँ अब क्या छूट गया है मुझसे
अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँअब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँकुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ