हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हमहँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हमहर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हमअब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भलाज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम
तुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगीतुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगीमैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगीरहे मुहब्बत में ज़िन्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर;ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी
तुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगीतुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगीमैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगीरहे मोहब्बत में ज़िन्दगी भर, रहेगी ये कशमकश बराबर;ना तुमको कुर्बत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगीहज़ार उल्फ़त सताए लेकिन मेरे इरादों से है ये मुमकिनअगर शराफ़त को तुमने छेड़ा तो ज़िन्दगी तुम पे वार होगी