माँगते थे रोज़ दुआ में सुकून ख़ुदा सेमाँगते थे रोज़ दुआ में सुकून ख़ुदा सेसोचते थे वो चैन हम लाएं कहाँ सेकिसी रोज एक प्यासे को पानी क्या पिला दियालगा जैसे खुदा ने सुकून का पता बता दिया
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून सेसोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून सेपर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला