सीने में जलनसीने में जलसीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ हैइस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूँ हैदिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढेपत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यूँ हैतन्हाई की ये कौन-सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ोता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यूँ हैहमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म कीवो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यूँ हैक्या कोई नई बात नज़र आती है हममेंआईना हमें देख के हैरान-सा क्यूँ है
सीने में जलनसीने में जलन..सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यों हैइस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यों हैदिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढेपत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यों हैतन्हाई की ये कौन-सी मंज़िल है रफ़ीक़ोता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यों हैहमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म कीवो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यों हैक्या कोई नई बात नज़र आती है हममेंआईना हमें देख के हैरान-सा क्यों है
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैउनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैइस तरह जुदाई का गम उठा लेते हैकिसी तरह ज़िक्र हो जाए उनकातो हंस कर भीगी पलके झुका लेते है
अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने मेंअब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में;बिन तेरे क्या रखा हैं जीने मेंहम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने कोवर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में
अपने सीने से लगाए हुए उम्मीद की लाशअपने सीने से लगाए हुए उम्मीद की लाश;मुद्दतों जीस्त को नाशाद किया है मैंने;तूने तो एक ही सदमे से किया था दो-चार;दिल को हर तरह से बर्बाद किया है मैंने
लगा कर आग सीने में चले हो तुम कहाँलगा कर आग सीने में चले हो तुम कहाँअभी तो राख उड़ने दो तमाशा और भी होगा