दिल की धड़कनो को एक लम्हा सब्र नहींदिल की धड़कनो को एक लम्हा सब्र नहींशायद उसको अब मेरी ज़रा भी कदर नहींहर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वोअब सफर तो हैं मगर वो हमसफ़र नहीं
चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमेंचुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमेंदिल पे असर हुआ है तेरी बात-बात का