झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँझूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ, सुबह और शाम मैं.सच बोलने की अदा ने हमसे, कई अजीज़ ‘यार’ छीन लिये.
कर दो तब्दील अदालतों को मय खानों मेंकर दो तब्दील अदालतों को मय खानों मेंसुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता