सारी रात इसी कश्मकश में गुज़र जाती है किसारी रात इसी कश्मकश में गुज़र जाती है किये रजाई में हवा कहाँ से घुस रही है
पंख लगाकर मेरे ख्वाबों को ले जाओ कहीं दूरपंख लगाकर मेरे ख्वाबों को ले जाओ कहीं दूरनालायक रात में आते हैं, और सोने भी नहीं देते
मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था।मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए थामै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था