मोहब्बत से वो देखते हैं सभी कोमोहब्बत से वो देखते हैं सभी कोबस हम पर कभी ये इनायत नहीं होतीमैं तो शीशा हूँ टूटना मेरी फ़ितरत हैइसलिए मुझे पत्थरों से कोई शिकायत नहीं होती