इक रात में सौ बार जला और बुझा हूँइक रात में सौ बार जला और बुझा हूँमुफ़्लिस का दिया हूँ मगर आँधी से लड़ा हूँ
वो समझें या ना समझें मेरे जज्बात कोवो समझें या ना समझें मेरे जज्बात कोमुझे तो मानना पड़ेगा उनकी हर बात कोहम तो चले जायेंगे इस दुनिया सेमगर आंसू बहायेंगे वो हर रात को
हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरहहम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरहलोग निकले ही नहीं ढूंढने वालों की तरहदिल तो क्या हम रूह में भी उतर जातेउस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह