हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी हैहमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैंहवा टकरा रही है शमा से बार-बार;और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है