जाहिद शराब पीने देजाहिद शराब पीने दे..जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठकरया वो जगह बता जहाँ खुदा नहींमस्जिद खुदा का घर है, पीने की जगह नहींकाफिर के दिल में जा वहाँ खुदा नहींकाफ़िर के दिल से आया हूँ में ये देखकरखुदा मौजूद है वहाँ भी लेकिन उसे पता ही नहीं
साकी शराब लासाकी शराब ला..साकी शराब ला कि तबीयत उदास हैमुतरिब रबाब उठा कि तबीयत उदास हैचुभती है कल वो जाम-ए-सितारों की रोशनीऐ चाँद डूब जा कि तबीयत उदास हैशायद तेरे लबों की चटक से हो जी बहालऐ दोस्त मुसकुरा कि तबीयत उदास हैहै हुस्न का फ़ुसूँ भी इलाज-ए-फ़सुर्दगीरुख़ से नक़ाब उठा कि तबीयत उदास हैमैंने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब-ए-महजबीं न जा कि तबीयत उदास है
शराब बनी तो मैखाने बनेशराब बनी तो मैखाने बनेहुस्न बना तो दीवाने बनेकुछ तो बात है आप मेंयूंही नहीं हम "पागल खाने" में
यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा शराब सेयूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा शराब से इश्क की राहों में तन्हा मिली हमसफ़र बन गई...
हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब हैहमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब हैतो उसने अपने होठो से सारे वहम तोड़ दिए