न मिलने का वादान मिलने का वादन मिलने का वादा, न आने की बातेंकहाँ तक सुनें दिल जलाने की बातेंहमेशा वही सर झुकाने की बातेंकभी तो करो सर उठाने की बातेंकोई इस ज़माने की कहता नहीं हैसुनाते हो अपने ज़माने की बातेंकहाँ तक सुने कोई इन रहबरों कीहथेली पे सरसों उगाने की बातेंतरस खायेंगी बिजलियाँ भी यक़ीननजो सुन लें कभी आशियाने की बातेंअजब-सी लगे हैं फ़क़ीरों के मुँह सेकिसी हूर की या ख़ज़ाने की बातेंकभी जो हुईं थीं हमारी-तुम्हारी वो बातें नहीं हैं बताने की बातें
सुना है वो जाते हुए कह गये केसुना है वो जाते हुए कह गये के;अब तो हम सिर्फ आपके ख़्वाबों में ही आएँगेकोई कह दे कि वो वादा कर लेहम जिदंगी भर के लिए सो जाएंगे
वादा कर लेते हैंवादा कर लेते हैं, निभाना भूल जाते हैंलगाकर आग बुझाना भूल जाते हैंये तो आदत हो गई है अब उनकी रोज़कि रुलाते हैं और मनाना भूल जाते हैं
वादा करते तो कोई बात होतीवादा करते तो कोई बात होतीमुझे ठुकराते तो कोई बात होतीयूँ ही क्यों छोड़ दिया दामनकसूर बतलाते तो कोई बात होती
वादा करके निभाना भूल जाते हैंवादा करके निभाना भूल जाते हैंलगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैंऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम कीरुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं