सामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूदसामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूद, क्या करते हम भी यारोंरुकते तो सफर रह जाता, चलते तो हमसफ़र रह जाता
जिसका वजूद नहींजिसका वजूद नहीं, वह हस्ती किस काम कीजो मजा न दे, वह मस्ती किस काम कीजहाँ दिल न लगे, वो बस्ती किस काम कीहम आपको याद न करें, तो फिर ये मोहब्बत किस काम की