दिल की धड़कनो को एक लम्हा सब्र नहींदिल की धड़कनो को एक लम्हा सब्र नहींशायद उसको अब मेरी ज़रा भी कदर नहींहर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वोअब सफर तो हैं मगर वो हमसफ़र नहीं
हर लम्हा हम उन्हें याद करते रहेहर लम्हा हम उन्हें याद करते रहेउनकी याद में मर-मर के जीते रहेअश्क़ आँखों से हमारी बहते रहेजुदाई में उनकी हम अश्क़ों के जाम पीते रहे
जूनून-ए-इश्क था तो कट जाती थी रात ख्यालो मेंजूनून-ए-इश्क था तो कट जाती थी रात ख्यालो मेंसजा-ए-इश्क आयी तो हर लम्हा सदियों सा लगने लगा
मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता थामैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता थाआँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता थासुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगरमैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था
लम्हा लम्हा सांसें ख़तम हो रही हैंलम्हा लम्हा सांसें ख़तम हो रही हैंज़िंदगी मौत के पहलू में सो रही हैउस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजहवो तो ज़माने को दिखाने के लिए रो रही है
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेनाजो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेनाकम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है