दिल मेरा जिस से बहलतादिल मेरा जिस से बहलता..दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिलाबुत के बने तो मिले अल्लाह का बंदा ना मिलाबज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूसएक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिलागुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोशतालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिलावाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद नेकर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिलासय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लायेशैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला
दिल मेरा जिस सेदिल मेरा जिस से..दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिलाबुत के बन्दे तो मिले अल्लाह का बन्दा न मिलाबज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूसएक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिलागुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोशतालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिलावाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद नेकर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिलासय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लायेशैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला
आज भी सूना पड़ा है हर एक मंज़रआज भी सूना पड़ा है हर एक मंज़रतेरे जाने से सब कुछ वीरान लगता हैउस रास्ते पे आज भी हम तेरी राह देखते हैंजहाँ से तेरा लौट आना आसान लगता है
राह यूँ ही नामुक्क्मलराह यूँ ही नामुक्क्मल, ग़म-ए-इश्क का फ़सानाकभी मुझको नींद नहीं आयी, कभी सो गया ज़माना
किसको दोष लगाएं अपनी बरबादी का हमकिसको दोष लगाएं अपनी बरबादी का हमइश्क़ की राहों में हम खुद ही गुनाहगार हैंजो लम्हें बिताये थे साथ मिलकर कभीआज वही लम्हें मेरे सितमगर हैं।