मुझे वो दिन के उजाले में क्यों नहीं दिखतामुझे वो दिन के उजाले में क्यों नहीं दिखताजो ख़्वाब रात में आँखें निचोड़ जाता हैमेरी नज़र को सलीके से मोड़ जाता हैमेरा वजूद वो ऐसे झंझोड़ जाता है
अगर मैं हद से गुज़र जाऊं तो मुझे माफ़ करनाअगर मैं हद से गुज़र जाऊं तो मुझे माफ़ करनातेरे दिल में उतर जाऊं तो मुझे माफ़ करनारात में तुझे तेरे दीदार की खातिरअगर मैं सब कुछ भूल जाऊं तो मुझे माफ़ करना
न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सकेन आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सकेवह रात जो कि तेरे गेसुओं की रात नहींयह आरजू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदमविसाले यार फकत आरजू की बात नहीं