वो कभी मिल जाएं तो क्या कीजियेवो कभी मिल जाएं तो क्या कीजियेरात दिन सूरत को देखा कीजियेचाँदनी रातों में एक एक फूल कोबेखुदी कहती है सज़दा कीजिये
रात ख़्वाबों में आए थे तुमरात ख़्वाबों में आए थे तुम, और देखोअभी तक महक रहा है, तुम्हारी ख़ुशबू से वो सिरहाना मेरा
एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आतीएक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आतीऔर एक जमीर है जो हर वक़्त सोया रहता है