ज़रा-ज़रा सी रंजिशेज़रा-ज़रा सी रंजिशे..ज़रा-ज़रा सी रंजिशेकभी दिल जला कभी जान भीमैं अपनों के काबिल ना रहाये जानते है अन्जान भीमेरे साथ अक्सर रहते हैकातिल मेरे मेहमान भीधरती पर जुल्म देख कररूठा है आसमान भीवो बदल गया खुदा सा जोफ़रिस्ता था बना शैतान् भीबस ज़रा-ज़रा सी रंजिशेना भुला सका इंसान भी