दी क़सम वस्ल में उस बुत को ख़ुदा की तो कहादी क़सम वस्ल में उस बुत को ख़ुदा की तो कहातुझ को आता है ख़ुदा याद हमारे होतेवस्ल = मिल
मैं लोगों से मुलाकात के लम्हें याद रखता हूँमैं लोगों से मुलाकात के लम्हें याद रखता हूँमैं बातें भूल भी जाऊं पर लहज़े याद रखता हूँ
याददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है जनाबयाददाश्त का कमज़ोर होना बुरी बात नहीं है जनाबबड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हे हर बात याद रहती है
आज रात भी मुमकिन है सो न पाऊं मैंआज रात भी मुमकिन है सो न पाऊं मैंयाद फ़िर आये हैं नींदों को उड़ाने वाले
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने कीआरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने कीलम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं