ए दोस्त तेरी दोस्ती पे नाज करते हैए दोस्त तेरी दोस्ती पे नाज करते हैहर वक़्त मिलने की फरियाद करते हैहमें नहीं पता घरवाले बताते हैके हम नींद में भी आपकी बात करते है
ये अच्छा उसने मेरे कतल का तरीका ईजाद कियाये अच्छा उसने मेरे कतल का तरीका ईजाद कियामर जाता मैं हिचकियो से, इतना मुझे याद किया
उनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहींउनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहीं;.घर भी कैसे जाऊं अब तो कोई बहाना नहीं.मुझे याद रखना कहीं तुम भुला न देना;माना के बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं
हर वक़्त तेरी यादें तड़पाती हैं मुझेहर वक़्त तेरी यादें तड़पाती हैं मुझेआखिर इतना क्यों ये सताती है मुझेइश्क तो किया था तूने भी गर्व सेतो यही एहसास क्यों नहीं दिलाती है तुझे
तुम्हारी याद के सहारे जिए जाते हैतुम्हारी याद के सहारे जिए जाते हैवरना हम तो कब के मर गए होतेजो जख्म दिल में नासूर बन गएजख्म वो कब के भर गए होते