दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करनादिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना..दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करनामुस्कुराते हुए रुखसत करनाअच्छी आँखें जो मिली हैं उसकोकुछ तो लाजिम हुआ वहशत करनाजुर्म किसका था, सज़ा किसको मिलीअब किसी से ना मोहब्बत करनाघर का दरवाज़ा खुला रखा हैवक़्त मिल जाये तो ज़ह्मत करना
कहाँ तक आँख रोएगीकहाँ तक आँख रोएगी..कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगामेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगातुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैंकि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगासमन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेताज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगामोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होताकहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा
तो मैं भी ख़ुश हूँ कोई उस से जा के कह देनातो मैं भी ख़ुश हूँ कोई उस से जा के कह देनाअगर वो ख़ुश है मुझे बे-क़रार करते हुएतुम्हें ख़बर ही नहीं है कि कोई टूट गयामोहब्बतों को बहुत पाएदार करते हुएमैं मुस्कुराता हुआ आईने में उभरूँगावो रो पड़ेगी अचानक सिंघार करते हुए;मुझे ख़बर थी कि अब लौट कर न आऊँगासो तुझ को याद किया दिल पे वार करते हुए;ये कह रही थी समुंदर नहीं ये आँखें हैंमैं इन में डूब गया ए'तिबार करते हुएभँवर जो मुझ में पड़े हैं वो मैं ही जानता हूँतुम्हारे हिज्र के दरिया को पार करते हुए
कब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझेकब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझेजितनी भी मुश्किल में हूँ आसान कर देगा मुझेरू-ब-रू कर के कभी अपने महकते सुर्ख़ होंठएक दो पल के लिए गुलदान कर देगा मुझेरूह फूँकेगा मोहब्बत की मेरे पैकर में वोफिर वो अपने सामने बे-जान कर देगा मुझेख़्वाहिशों का ख़ूँ बहाएगा सर-ए-बाज़ार-ए-शौक़और मुकम्मल बे-ए-सर-ओ-सामान कर देगा मुझेमुनहदिम कर देगा आ कर सारी तामीरात-ए-दिलदेखते ही देखते वीरान कर देगा मुझेया तो मुझ से वो छुड़ा देगा ग़ज़ल-गोई 'ज़फ़र'या किसी दिन साहब-ए-दीवान कर देगा मुझे
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बादबड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बादमैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बादतुझ से मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिनअक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद