कहाँ तक आँख रोएगीकहाँ तक आँख रोएगी..कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगामेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा;तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैंकि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा;समंदर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेताज़मीन का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगामोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होताकहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा
तेरी हर बात मोहब्बत मेंतेरी हर बात मोहब्बत में..तेरी हर बात मोहब्बत में गंवारा करकेदिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करकेएक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसेवो अलग हट गया आँधी को इशारा करकेमुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगेचाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करकेमैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकीतुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके