होती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरहहोती अगर मोहब्बत बादल के साये की तरहतो मै तेरे शहर मे कभी धूप ना आने देता
अब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह हैअब तक ख़बर न थी कि मोहब्बत गुनाह हैअब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
जब से मुँह को लग गई अख़्तर मोहब्बत की शराबजब से मुँह को लग गई अख़्तर मोहब्बत की शराबबे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछयाद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछभूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
देख लेते हो मोहब्बत से यही काफी हैदेख लेते हो मोहब्बत से यही काफी हैदिल धड़कता है सहूलत से यही काफी हैहाल दुनिया के सताए हुए कुछ लोगों कापूछ लेते हो शरारत से यही काफी है
मोहब्बत का कोई रंग नहीं फिर भी वो रंगीन हैमोहब्बत का कोई रंग नहीं फिर भी वो रंगीन हैप्यार का कोई चेहरा नहीं फिर भी वो हसीन है