मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदामैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदाबरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए
रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने कोरोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने कोमैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी।
मैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब निकलूँमैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब निकलूँबरहना शहर में कोई नज़र ना आए मुझे
मैं तुम्हारी कुछ मिसाल तो दे दूँ मगर जानांमैं तुम्हारी कुछ मिसाल तो दे दूँ मगर जानांजुल्म ये है कि बे-मिसाल हो तुम