जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी हैजिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी हैजो मुसाफिर थे वो रास नहीं आयेजिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये !
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिबजिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिबअब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा
दो दिन की जिंदगी हैदो दिन की जिंदगी है, इसे दो उसूलों से जिओरहो तो फूलों की तरह; औबिखरों तो खुशबु की तरह।...