मुस्कुराने से भी होता हैमुस्कुराने से भी होता है, ग़म-ए-दिल बयांमुझे रोने की आदत हो, ये ज़रूरी तो नहीं
ना मुस्कुराने को जी चाहता हैना मुस्कुराने को जी चाहता हैना आंसू बहाने को जी चाहता हैलिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद मेंबस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है
वो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत हैवो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत हैइसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए