वो आज भी हमें देख कर मुस्कुराते हैंवो आज भी हमें देख कर मुस्कुराते हैंवो आज भी हमें देख कर मुस्कुराते हैंये तो उनके बच्चे ही कम्बख्त हैंजो हमें मामा-मामा बुलाते है
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैंकुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैंकि परेशान लोग उन्हें देख खुश हो जाते हैंउनकी बातों का अजी क्या कहियेअल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं