मित्र प्रणाममित्र प्रणाम, आपके सन्देश ना मिलने से हम अति विचलित हो उठे है .कृपया अपने चलित दूरभाष यंत्र से अलप सन्देश वेजटे रहे.हमे हर्ष की प्राप्ति होगी..
भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट हैभीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट हैस्याही में थोड़ी सी, मेरे अश्कों की मिलावट है
कभी हम भी इसके क़रीब थेकभी हम भी इसके क़रीब थेदिलो जान से बढ़ कर अज़ीज थे;मगर आज ऐसे मिला है वो;कभी पहले जैसे मिला ना हो
आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ सेआज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ सेचौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम