इस वहम में वो दाग़ को मरने नहीं देतेइस वहम में वो दाग़ को मरने नहीं देतेमाशूक़ न मिल जाए कहीं ज़ेर-ए-ज़मीं और
हजारों झोपड़िया जलकर राख होती हैंहजारों झोपड़िया जलकर राख होती हैंतब जाकर एक महल बनता हैआशिको के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलताहसीनाओं के मरने पर "ताज महल" बनता है
यहाँ मज़दूर को मरने की जल्दी यूँ भी हैयहाँ मज़दूर को मरने की जल्दी यूँ भी हैकि ज़िंदगी की कश्मकश में कफ़न महंगा ना हो जाए
सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहलेसबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले, ऐसी मेरी नीयत हैमौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी, तेरी क्या कीमत है
मौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोसमौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोसयूँ तो ज़िंदगी में आये हैं सभी मरने के लिए