सौ बार मरना चाहा उनकी निगाहों में डूब केसौ बार मरना चाहा उनकी निगाहों में डूब केवो हर बार निगाहें झुका लेते हैं, मरने भी नहीं देते
तेरे ही क़दमों में मरना भी और जीना भीतेरे ही क़दमों में मरना भी और जीना भीकि तेरा प्यार है दरिया भी और सफ़ीना भीमेरी नज़र में तो अब सब बराबर हैंमेरे लिए तो तू ही है काशी तू ही मदीना भी