आंखों के हर कतरे का बोझ उठाता थाआंखों के हर कतरे का बोझ उठाता था, उठाता हूँ और उठाता रहूँगा मगर आंसुओं को ना कभी बेवफा कहूँगा इस जन्म का जो कर्ज है अगले जन्म में जरूर बगैर कर्ज मुस्कराउंगा
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँबेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँकोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों कोइसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ