आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताबआशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताबदिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तकहम ने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिन ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को खबर होने तक
बेताब से रहते हैं उसकी याद में अक्सरबेताब से रहते हैं उसकी याद में अक्सररात भर नहीं सोते हैं उसकी याद में अक्सरजिस्म में दर्द का बहाना सा बना करहम टूट कर रोते हैं उसकी याद में अक्सर