बीते हुए कुछ दिन ऐसे हैंबीते हुए कुछ दिन ऐसे हैंतन्हाई जिन्हें दोहराती हैरो-रो के गुजरती हैं रातेंआंखों में सहर हो जाती है
उम्र ने तलाशी ली तो जेबों से लम्हे बरामद हुएउम्र ने तलाशी ली तो जेबों से लम्हे बरामद हुएकुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे
ये जो चंद फुर्सत के लम्हे मिलते हैं जीने के लिएये जो चंद फुर्सत के लम्हे मिलते हैं जीने के लिएमैं उन्हें भी तुम्हे सोचते हुए ही खर्च कर देता हूँ