तपिश से बच के घटाओं में बैठ जाते हैंतपिश से बच के घटाओं में बैठ जाते हैंगए हुए कि सदाओं में बैठ जाते हैंहम इर्द-गिर्द के मौसम से घबरायेंतेरे ख्यालों की छाओं में बैठ जाते हैं
सजा है मौसम तुम्हारी महक से आज फिरसजा है मौसम तुम्हारी महक से आज फिरलगता है हवायें तुम्हें छू कर आयी हैं
धीरे धीरे दिल ने धड़कना सीखा!धीरे धीरे दिल ने धड़कना सीखाधीरे धीरे दिल ने सम्भलना सीखाधीरे धीरे हर राह पर चलना सीखाऔर धीरे धीरे हर मौसम में हमने हंसना सीखा