तू छोड़ दे कोशिशें इंसानो को पहचानने कीतू छोड़ दे कोशिशें इंसानो को पहचानने कीयहाँ ज़रूरत के हिसाब से सब बदलते नक़ाब हैंअपने गुनाहों पर सौ पर्दे डाल करहर शख्स कहता है ज़माना बड़ा खराब है
तपिश से बच के घटाओं में बैठ जाते हैंतपिश से बच के घटाओं में बैठ जाते हैंगए हुए कि सदाओं में बैठ जाते हैंहम इर्द-गिर्द के मौसम से घबरायेंतेरे ख्यालों की छाओं में बैठ जाते हैं
धीरे धीरे दिल ने धड़कना सीखा!धीरे धीरे दिल ने धड़कना सीखाधीरे धीरे दिल ने सम्भलना सीखाधीरे धीरे हर राह पर चलना सीखाऔर धीरे धीरे हर मौसम में हमने हंसना सीखा