फूलों की याद आती है काँटों को छूने परफूलों की याद आती है काँटों को छूने पररिश्तों की समझ आती है फासलों पे रहने परकुछ जज़्बात ऐसे भी होते हैं जो आँखों से बयां नहीं होतेवो तो महसूस होते हैं ज़ुबान से कहने पर
कहा ये किसने कि फूलों से दिल लगाऊं मैंकहा ये किसने कि फूलों से दिल लगाऊं मैंअगर तेरा ख्याल ना सोचूं तो मर जाऊं मैंमाँग ना मुझसे तू हिसाब मेरी मोहब्बत काआ जाऊं इम्तिहान पर तो हद्द से गुज़र जाऊं मैं